बौद्ध धर्म अपनाने के लिए क्या करें: Adopt Buddhism
बौद्ध धर्म में पहिला चरण हैं दिक्षाविधी त्रिशरण ग्रहण कर पंचशिल का पालन करना, त्रिशरण बुद्ध, धम्म, संघ को शरण जाना.और पंचशिल प्राणीहिंसा न करना, झूठ न बोलना, चोरी न करना, किसी भी नशीली पदार्थ का सेवन न करना, परस्रिगमन न करना, ऐसे अपने दैनिक व्यवहार को रखे. वही बुध्दिस्ट कहलाता हैं, और यह सब करने से व्यक्ति को सुकून मिलेगा मन में शांति रहेगी साथ ही एक संतुलित जीवन यापन करने में गलत ही क्या है। What to do to convert to buddhism.
बौद्ध धर्म कैसे अपनाया जाता है How to adopt Buddhism?
अपने दैनिक जीवन व व्यवहार में त्रिशरण, तथा पंचशील, और प्रतिज्ञाओं को फ़ॉलो करने वाला व्यक्ति बौद्ध (बुद्धिस्ट) कहलाता है, आज की इस लेख में हम जान पायेंगें कि बौद्ध धर्म कैसे अपनाया जाता है। how to adopt buddhism in hindi
किसी व्यक्ति को बौद्ध-धर्म को अपनाने के लिए नियमामुसार विधिवत बौद्ध-धम्म दीक्षा लेनी पड़ती है, बौद्ध-धर्म की दीक्षा कभी भी कहीं भी बिधि विधान से किया जा सकता है लेकिन यदि किसी बौद्ध विहार में दीक्षा लिया जाए तो बहुत ही उत्तम है। How to become a buddhist in india
यह धम्मदीक्षा किसी बौद्ध भिक्षु या भिक्षुणी द्वारा या किसी उपासक या उपासिका द्वारा दी जाती है। दीक्षा विधि में बौद्ध धर्म अपनाने वाले मनुष्य को त्रिशरण और पंचशील ग्रहण करना होता है। Baudh dhram apnane ke liye kya krna hoga.
बौद्ध धर्म अपनाने के लिए क्या करना होगा जानिए:
त्रिशरण निम्नवत है:
- 1) बुद्धमं-शरणमं-गच्छामि (मैं बुद्ध को शरण जाता हूं)
- 2) धम्ममं-शरणमं-गच्छामि (मैं धम्म को शरण जाता हूं)
- 3) संघमं-शरणमं-गच्छामि (मैं संघ को शरण जाता हूं)
बुद्ध-धम्म तथा संघ यह त्रिरत्न हैं, इसको ग्रहण कोई मनुष्य बुद्धिस्ट बनता है, त्रिशरण के साथ-साथ पंचशील भी व्यक्ति को ग्रहण कर लेने होते हैं। how to adopt buddhism in india.
बौद्ध धर्म अपनाने की प्रक्रिया: Adoption of Buddhism
“पंचशील” बौद्ध-धर्म की मूल आचार-संहिता है, जिसको बौद्ध उपासक/उपासिकाओं के लिये फ़ॉलो करना ज़रूरी माना गया है।
भगवान-बुद्ध द्वारा अपने उपासक/उपासिकाओं को दिया गया है यह पंचशील।
1. हिंसा न करना, 2. चोरी न करना, 3. व्यभिचार न करना, 4. झूठ न बोलना, 5. नशा न करना।
- पंचशील पालि में यह निम्नवत है-
- पाणातिपाता वेरमणी-सिक्खापदं समादयामि।।
- अदिन्नादाना वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।।
- कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।।
- मुसावादा वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।।
- सुरा-मेरय-मज्ज-पमादठ्ठाना वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।।
धम्म-दीक्षा लेने वाला व्यक्ति अगर हिन्दू हो तो उसे डॉ-बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा बौद्धों को दी गई 22 प्रतिज्ञाएं भी ग्रहण पड़ती है, (how to convert to buddhism from hinduism)
सब मिला-जुला कर, किसी बौद्ध-भिक्षु या बौद्ध उपासक/उपासिकाओं द्वारा त्रिशरण-पंचशील ग्रहण करने के साथ-साथ ही 22 प्रतिज्ञाओं का पालन करने के पश्चात ही कोई व्यक्ति बौद्ध (बुद्धिस्ट) बनता है।
अगर कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति (SC) से संबंधित हिंदू व्यक्ति बौद्ध-धर्म ग्रहण करता है, तो वह तब भी अनुसूचित जातियों में मिलने वाली सरकारी (Govt) सुविधाओं का फ़ायदा उठाने का सक्षम होता है, बौद्ध अपनाये हुए व्यक्ति को अल्पसंख्यक (minority) आरक्षण का भी फ़ायदा होता है, अभी आपको पता ही हो गया होगा कि बौद्ध धर्म कैसे अपनाया जाता है। how to convert to buddhism legally
बौद्ध धर्म के उद्देश्य क्या हैं: What are the aims of Buddhism?
बौद्ध-धर्म में संघ (Unity) का बडा स्थान है, इस धर्म में बुद्ध-धम्म और संघ को (त्रिरत्न) कहा जाता है। संघ के नियम (संस्कार) के बारे में तथागत बुद्ध ने कहा था कि छोटे नियम भिक्षुगण परिवर्तन कर सकते है। उन के महापरिनिर्वाण पश्चात संघ का आकार में व्यापक वृद्धि हुआ। इस वृद्धि के पश्चात विभिन्न क्षेत्र, संस्कृति, सामाजिक अवस्था, दीक्षा, आदि के आधार पर भिन्न लोग बुद्ध धम्म से आबद्ध हुए और संघ का नियम धीरे-धीरे परिवर्तन होने लगा। साथ ही में अंगुत्तर निकाय के कालाम सुत्त में बुद्ध ने स्वयं के अनुभव के बेस पर धम्म फ़ॉलो करने की आज़ादी दी है।
अतः विनम्रता के नियम में स्थानीय भाषिक पक्ष/सांस्कृतिक, व्यक्तिगत धम्म की स्वतन्त्रता, परिवर्तन/परिमार्जन, धर्म के निश्चित पक्ष में कम व ज्यादा जोड आदि वजह से बुद्ध-धम्म में विभिन्न सम्प्रदाय वा संघ में परिमार्जित हुए। वर्तमान में, इन संघ में प्रमुख सम्प्रदाय या पंथ थेरवाद, महायान और वज्रयान है। भारत में बौद्ध धम्म का नवयान संप्रदाय है जो पुर्णत शुद्ध, मानवतावादी और विज्ञानवादी है। How to adopt Buddhism in India.
बुद्ध के अनुसार धम्म जीवन की पवित्रता बनाए रखना और तथ्य-ज्ञान में पूर्णता प्राप्त करना है,साथ ही निर्वाण प्राप्त करना और तृष्णा का त्याग करना है। इसके अलावा भगवान बुद्ध ने सभी संस्कार को अनित्य बताया है। भगवान बुद्ध ने मानव के कर्म को नैतिक संस्थान का आधार बताया है। यानी भगवान बुद्ध के अनुसार धम्म है। जो सबके लिए ज्ञान के द्वार खोल दे। और उन्होने ये भी बताया कि केवल विद्वान होना ही पर्याप्त नहीं है। विद्वान वही है जो अपने की ज्ञान की रोशनी से सबको रोशन करे।
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धम्म को लोगों की जिंदगी से जोड़ते हुए भगवान बुद्ध ने बताया कि करूणा शील और मैत्री अनिवार्य है। इसके अलावा सामाजिक भेद भाव मिटाने के लिए भी भगवान बुद्ध ने प्रयास करते हुए बताया था कि लोगों का मुल्यांकन जन्म के आधार पर नहीं कर्म के आधार पर होना चाहिए। भगवान बुद्ध के बताए मार्ग पर दुनिया भर के करोड़ों लोग चलते है। जिससे वो सही राह पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बनाते हैं।तथागत गौतम बुद्ध अपने आपको संसार का रचियता अथवा जगतकर्ता या ईश्वर नहीं बताया है।
बौद्ध प्रमाण पत्र कैसे मिलेगा? After adoption of buddhism
बौद्ध धम्म अपनाने या बुद्धिस्ट बनाने के लिए कोई डिफिकल्ट विधि-विधान नहीं हैं. आपको बस बुद्ध के विचारों से आगे बढ़ाना होगा और यदि कोई सरकारी कार्य हेतु धर्म-जात प्रमाणपत्र की आवश्यकता पड़ती हो तो उस पर बदलाव करवाना पड़ेगा. धर्म के कॉलम में बौद्ध-बुद्धिस्ट लिखना होगा बस.
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बौद्ध-धर्म अपनाए हुए व्यक्ति को बुद्धिस्ट सोसायटी-ऑफ-इंडिया के द्वारा ‘बौद्ध प्रमाण पत्र’ भी प्राप्त किया जा सकता है।
नमो बुद्धाय धम्म बंधुओं मैं राहुल गौतम बौद्ध संस्कार.कॉम का फाउंडर हूँ, मैं यहाँ बुद्धिज़्म से जुडी संपूर्ण जानकारीयों को आप सभी के लिए इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से शेयर करता हूँ, जैसे कि बौद्ध संस्कार, बुद्ध वंदना, भगवान बुद्ध, बाबा साहब, एवं बुद्धिज़्म से जुड़ी समस्त महत्वपूर्ण जानकारीयों को पूर्णतः निःशुल्क रूप से बुद्धिज़्म जनहित कल्याण के लिए रिसर्च करके आप सभी धम्म बंधुओं के लिए लिखता हूँ। जय भीम।