बौद्ध संस्कार में बच्चों के नामकरण Modern Indian Buddhist Baby Name समारोह बच्चे के जन्म के बाद, यह अपना अस्तित्व खुद बनाता है, जोकि Baudh Sanskar है इस अस्तित्व का परिचय देने का, ये तो संस्कार हैं, रस्म करते हुए कर्मकांड और अंधविश्वास इसमें नहीं आना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें।
बौद्ध नामकरण संस्कार बच्चों का कैसे करें Buddhist Baby Naming Ceremony
बच्चे को नाम देना परिवार, उनकी विरासत, इच्छा-आकांक्षा, लक्ष्य का प्रतीक है, ये प्रतीक आगे के जीवन में बाधा ना बने कईयों को नाम बदलने पड़े क्योंकि यह नाम ही एक बाधा बन गया, पितरों का यह बोझ हमेशा उठाना पड़ता है, तो / वह घुट जाएगी। कुछ नाम खुद बदल जाते है कुछ ऐसे ही घुटते हैं। Unique Buddhist names Boy.
बौद्ध संस्कृति में बौद्ध दीक्षा, प्रवज्जा अनुष्ठान के दौरान नाम बदलने की सुविधा है, इसलिए अपनों का नाम सोच समझ कर रखना चाहिए। बाइस वचन से बेमिसाल, अंधविस्वास से बेरुखी, पुजारी की सलाह से, नीच नाम, जो नाम उसकी महानता को शोभा न दे, बच्चे को नहीं देना चाहिए। नाम गर्वित, अभिनव, मुक्त होना चाहिए। भारत रत्न, बोधिसत्व, महात्माओं का नाम नहीं रखा जाना चाहिए। यह हमारे दिग्गजों का अपमान है। Buddhist Ritual Naming Ceremony.
पापा का नाम पांचवे सप्ताह में होना चाहिए। देर हो जाए तो उसके शेयर को बेवजह विकृत, व्यंग्यात्मक कहा जाता है। अक्सर चचेरे भाई, चचेरे भाई/बहन के नाम एक जैसे रखे जाते हैं। इस में नफरत है। बौद्ध लोग इससे दूर रहे। Buddhist Baby Names Indian.
बौद्ध नामकरण एक साधारण पारिवारिक संस्कार है। Naming ceremony is a common family ceremony.
इस रस्म में घर को सजाना चाहिए। बेबी को सजाना चाहिए। आंखों में काजल न लगाएं, सेहत के लिए हो सकता है नुकसान अनुष्ठान करते समय मूर्ति का उचित लेआउट, मधुर स्वर में त्रिसरण, पंचशील ग्रहण, त्रिरत्न वंदना अवश्य लेनी चाहिए। (इसके लिए स्पीकर मत लगाओ)। बच्चे के कान का पर्दा प्रभावित हो सकता है। )कथाओं,महापरित्रन पाठ की बाधा न बनें। बच्चे को माँ या बड़ी दादी की गोद में रखना चाहिए। विधवा सुहासिन को असमानता देखने वाले के बकवास विचार न बनने दें। Modern Buddhist Baby Names Indian.
घर के बुजुर्ग व्यक्ति बच्चों को देखकर तीन बार सर्व सहमति से नाम का उच्चारण करें। सभी को एक धुन में शांति से तीन बार संत करना चाहिए। जो नाम दिया है उसका मतलब, रखने का कारण परेशान होना चाहिए। माँ और बच्चे की देखभाल पर किसी विशेषज्ञ द्वारा भाषण देना चाहिए। सब्बा सुख गाथा, आशीर्वाद गाथा, धम्मपलनगाथा, सरनात्तय गाथा लेकर अनुष्ठान पूर्ण करना चाहिए। संकट के अनुसार उपस्थित लोगों को पेड़े (लड़का या लड़की) के रूप में वितरित किया जाना चाहिए। हो सके तो मिठाई का खाना खिलाओ। इस संस्कार से बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव न पड़े इसका कड़ाई से ध्यान रखें। Modern Buddhist baby names
बच्चों का बौद्ध नामकरण संस्कार Buddhist baby naming rites
पृथ्वी ग्रह पर अरबों जीवित प्राणी वास करते है. इनमें से हम इंसान सबसे बुद्धिमान और चालाक प्राणी बनकर उभरे हैं. और अन्य प्राणियों को अपना गुलाम बनाने में भी कामयाब हुए हैं.
इसी बुद्धिमता का एक ओर परिणाम है – नामकरण संस्कार.
यानि हम इंसानों ने प्रत्येक इंसान को एक नाम देने का तरीका खोजा निकाला है. जिसके तहत हर इंसान को एक विशिष्ट नाम दिया जाता है. और यही नाम उसकी पहचान बन जाती है. यह नाम विशिष्ट होता है और उसके समाज, जाती, धर्म, संस्कृति, निवास स्थल आदि की पहचान को संजोए रहता है.
इसलिए नामकरण हम इंसानों के जीवन में बहुत महत्व रखता है. खासकर बुद्ध धम्म के अनुयायियों के लिए तो नामकरण संस्कार के अलग ही मायने है. इस लेख में हम आपको बौद्ध नामकरण संस्कार, बौद्ध बच्चों के नाम कैसे रखते हैं और बौद्ध बच्चों के सुंदर और सार्थक नामों की जानकारी दें रहे हैं.
बौद्ध बच्चों का नामकरण संस्कार Buddhist baby naming rites
बौद्ध बच्चों के नाम रखते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें
बौद्ध पुरुष नाम (Buddhist Baby Boys Names)
बौद्ध महिला नाम (Buddhist Baby Girls Names)
बौद्ध बच्चों के नाम रखते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें
हमने ऊपर बताया कि इंसानी जीवन में उसके नाम का विशेष महत्व है. इंसान का नाम उसके पूरे जीवन को प्रभावित करता है. एक सुंदर नाम आत्मविश्वास को बढ़ाने का काम करता है. वहीं एक पुराना, बेहुदा एवं निरर्थक नाम मनोबल को गिराने के लिए ईंधन का काम करता है.
इसलिए, सभी उपासक एवं उपासिकाओं से हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन है कि वे अपने बच्चों का नाम रखते समय निम्न बातों को ध्यान में जरूर रखें.
बच्चे का नामकरण संस्कार करवाएं और अपनी बुद्ध धम्म संस्कृति का परिचय दें. ताकि आपको देखकर पड़ोसी भी प्रभावित होवें. और आपके बच्चों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा. संस्कारों का हस्तांतरण होगा.
बुद्धिस्ट नाम सरल, सुंदर तथा सार्थक हो.
Buddhist name should be simple, beautiful and meaningful.
उच्चारण का ख्याल जरूर रखें. बोलने में कठिन नाम ना रखें. जाति सूचक नामों का त्याग करें.
22 भीम-प्रतिज्ञाओं का उलंघन नहीं होना चाहिए. इसलिए, देवी-देवताओं जैसे नाम बौद्धों के लिए निरर्थक साबित होंगे. यानि देवी-देवताओं के नामों का जिक्र भी ना करें. ईश्वरवाद और भाग्य को दर्शाने वाले नामों से बचें.
इंद्र शब्द से मिलकर बने नामों से हमेशा बचे. और महेंद्र, जितेंद्र, गजेंद्र जैसे नाम ना रखकर अपनी बौद्ध संस्कृति की पहचान को बनाए रखने में सहयोग करें.
किसी खास दिन, घटना के चक्कर में नाम को बदनाम करने की मूर्खता से बिल्कुल ना करें. जैसे; बुधवार को जन्मे बच्चे का नाम बुध रख लिया जाए.
आप बौद्ध है केवल इसलिए अपने बच्चे का नाम “बुद्ध” ना रखें. यह एक उपाधी है, एक विशिष्ट अवस्था है. जिसे प्राप्त करने के लिए राजकुमार गौतम ने जीवन लगा दिया था. तब जाकर उन्हे बुद्धत्व की प्राप्ती हुई थी और वे “बुद्ध” कहलाए. इसलिए, नाम के बुद्ध ना बनाए.
इंटरनेट पर नाम ढूँढ़कर रखने से पहले उसकी पुष्टी भंते या फिर बौद्धाचार्यों से जरूर करें. इसके बाद उस नाम के बारे में विचार करें.
बच्चे का नाम बौद्ध संस्कृति को दर्शाने वाला होना चाहिए.
बौद्ध बच्चों का नामकरण संस्कार. Buddhist Baby Naming Ceremony in Hindi
बौद्ध नामकरण संस्कार क्या होता है? What is a Buddhist naming ceremony
सवाल आता है कि यह नामकरण संस्कार क्या होता है?
बौद्ध बच्चों का नामकरण कैसे किया जाता है? How Buddhist Children Are Named
प्रिय धम्म बंधुओं आइये जानते हैं, श्रमण संस्कृति में संस्कारों का बहुत महत्व है. सभी संस्कारों में नामकरण संस्करण को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. इसी संस्कार से हमारी पहचान सुनिश्चित होती है. एक छोटा बच्चा इसी नाम से जाना जाता है. इसलिए, बौद्धों में इस दिन को बड़ी ही धूमधाम और विधिपूर्वक मनाया जाता है.
भारतीय बौद्धों में यह संस्कार “संघ-पद्धति” (बहुमत से नामकरण) से किया जाता है. जिसके तहत संघ बच्चे का नाम सुझाता है और फिर प्रस्तावित नामों में से जिस नाम को ज्यादा बहुमत प्राप्त होता है. उस नाम को बच्चे का नाम घोषित कर दिया जाता है.
आमतौर पर नाम सुझाने का काम संघ द्वारा ही किया जाता है. मगर, बच्चे के माता-पिता, पारिवारिक सदस्य तथा रिश्तेदार भी नाम सुझा सकते है. ऐसा करने पर संघ द्वारा कोई रोक नहीं है.
ध्यान दें
बौद्ध परिवारों में अभी भी कुँआ-पूजन कार्यक्रम प्रचलित है. वे इसके बजाए नामकरण संस्कार को प्राथमिकता दें और ओरों से भी करवाने का आग्रह करें. यदि हम ही अपनी संस्कृति का ख्याल नही रखेंगे तो कौन रखेगा?
बौद्ध नामकरण संस्कार कब करना चाहिए? When should a Buddhist naming ceremony be performed??
वैसे तो नामकरण संस्कार का कोई निश्चित समय नहीं है. उपासक-उपासिकाएं अपनी सहुलियत के हिसाब से उचित समय पर बच्चे का नामकरण करवा सकते है.
लेकिन, यह संस्कार बच्चे की मां के ऊपर निर्भर करता है. और इसका सही समय का निर्धारण भी मां और बच्चे का स्वास्थ्य से निर्धारित होता है.
जब बच्चे की मां कुछ देर तक बैठने की स्थिति में हो जाए तब नामकरण संस्कार करवाया जा सकता है.
एक बात पर गौर करें. बौद्धों में किसी भी कार्य के लिए कोई शुभ-मूहुर्त, शुभ लग्न नहीं होता है. इसलिए, पुरोहितों, ब्राह्मणों से नामकरण का समय निकलवाने का पाखंड़ और मूर्खता ना करें.
बौद्ध नामकरण संस्कार किससे करवाएं अथवा कौन करता है?
नामकरण संस्कार केवल कुशल संस्कारक द्वारा ही कराया जाना चाहिए. किसी भी व्यक्ति द्वारा इस महत्वपूर्ण काम को ना करवाएं.
भारतीय बौद्ध यह कार्य दो व्यक्तियों (संस्कारकों) द्वारा करवा सकते है.
संघ बौद्धाचार्य Sangha Buddhist Acharya
संघ द्वारा: संघ का निर्माण पूज्नीय भंते लोगों से होता है. इसलिए, आपके निवास स्थल के नजदीक बुद्ध विहार है. तो वहां जाकर पूज्नीय भंते को घर पर बुलाकर नामकरण संस्कार करवाया जा सकता है. पूज्नीय भंते सभी संस्कारों में कुशल होते है.
बौद्धाचार्य द्वारा: बौद्धाचार्य एक ग्रहस्थ उपासक-उपासिका होता है. जिसे भारतीय बौद्ध महासभा (The Buddhist Society of India) द्वारा बौद्ध संस्कारों को करवाने का उचित प्रशिक्षण दिया जाता है.
बौद्ध नामकरण संस्कार की विधि यानि बौध नामकरण संस्कार कैसे होता है?
सबसे पहले घर की साफ-सफाई करनी चाहिए. इसके बाद उचित जगह पर घर के सदस्यों, मेहमानों और संघ के बैठने का समुचित प्रबंध करना चाहिए. इसके लिए हॉल या आँगन में दरी-पट्टी बिछा लें.
आयोजक उपासक-उपासिका एवं परिवारजन सफेद पोशाक पेहनकर तैयार हो जाए. यदि सफेद वस्त्र नहीं पहनना चाहते है तो कोई बात नहीं है. आप अपनी पसंदानुसार पोशाक पहन सकते है. लेकिन, सफेद वस्त्र इस समय ज्यादा उचित रहेंगे.
अब भगवान बुद्ध, बाबासाहेब की प्रतिमा या चित्र को संघ (उपस्थित लोग) के सामने ऊंचे स्थान पर स्थापित करें.
इसके बाद फूल, मोमबत्ती और अगरबत्ती जलाई जाएं. फल, मिठाई या अन्य खाद्य सामग्री ना रखें और ना ही प्रतिमा पर लगाने (भोग चढ़ाना) की मूर्खता करें. क्योंकि प्रतिमा कुछ नहीं खाती है.
संस्कारक (भंते या बौद्धाचार्य) प्रतिमा के बाएं तरफ बैठकर एक लोटा पानी से भरकर उसमें पांच बोधिवृक्ष (पीपल) की पत्तियां रख दें. और सफेद धागे से बना हुआ तिहरा मंगल-सूत्र बनाकर उसका एक छोर लोटे में बांधकर प्रतिमा के पीछे से घुमाकर सामने बैठे बच्चे के माता-पिता तथा परिवारजनों को दोनों हाथों में पकड़ाकर उसके दूसरें छोर को लोटे में डाल दें.
कार्य पूर्ण होने के बाद बुद्ध वंदना की जाती है.
बुद्ध वंदना यहाँ पढ़ें: बुद्ध वंदना सभी को पूरी आनी चाहिए Buddha Vandana
वंदना करने के लिए संघ में उपस्थित सभी उपासक-उपासिकाएं शांति से संस्कारक की बात सुने और उनके कहें अनुसार आचरण करें.
आमतौर पर वंदना के दौरान त्रिशरणगमन और पंचशील ग्रहण करवाया जाता है. साथ में बाबासाहेब की अमरकृति “भगवान बुद्ध और उनका धम्म” तथा “धम्मपद” का पाठ करवाया जाता है. इसके लिए उपस्थित उपासक-उपासिकाओं को उकडू बैठकर यह कार्य करना चाहिए.
बौद्ध नामकरण संस्कार की प्रक्रिया आरंभ की जाती है.
बच्चे के माता-पिता तथा उनकी अन्य संतानों (यदि है तभी) के नामों का परिचय संघ को करवाया जाता है.
अब बच्चे का नामकरण हेतु केवल पांच नाम प्रस्तावित किए जाते है. जिनमें से एक नाम बच्चे के परिवारजनों द्वारा, एक नाम उपासिका संघ (महिलाओं) द्वारा तथा शेष तीन नाम उपासक संघ (पुरुषों) द्वारा प्रस्तावित किया जाता है. फिर, इन पांच नामों पर बारी-बारी से संघ के सदस्यों का मत (हाथ-उठवाकर) लिया जाता है. जिस नाम को अधिक बहुमत प्राप्त होता है. उस नाम की घोषणा संस्कारक द्वारा कर दी जाती है.
बहुमत मिलने के बाद भी नाम की उच्चारण सरलता, सुंदरता, सार्थकता तथा बौद्ध संस्कृति की अनुरुपता जांची जाती है.
इसके बाद अंतिम नाम की घोषणा करने के बाद बच्चे को आशीर्वाद स्वरुप संस्कारक द्वारा निम्न सुत्त बोला जाता है.
- भवतु सब्ब मंगलं रक्खंतु सब्बदेवता
- सब्बबुद्धानुभावेन सदा सोत्थि भवंतु ते
- भवतु सब्ब मंगलं रक्खंतु सब्बदेवता
- सब धम्मानुभावेन सदा सोत्थि भवंतु ते
- भवतु सब्ब मंगलं रक्खंतु सब्बदेवता
- सब संघानुभावेन सदा सोत्थि भवंतु ते.
इसके बाद उपस्थित लोग बच्चे को उपहार देते है. उपहार पश्चात सभी प्राणियों के कल्याण के लिए “सब सुख गाथा” कहते हुए संस्कार पूरा हो जाता है.
इसके बाद आयोजक उपासक-उपासिकाएं अपने स्त्तर पर खाने-पीने का बंदोबश्त करते है. यह वैकल्पिक है और कोई लाग-बांध नहीं होती है. आयोजक उपासक-उपासिका के विवेक पर निर्भर करता है कि घर आए मेहमानों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?
यहाँ पर आपकी सुविधा के लिए केवल कुछ नाम दिए जा रहे है. शेष नामों के लिए आप हमें संपर्क कर सकते हैं. जिसमें लगभग 1,000 बौद्ध बच्चों के नाम हमें और लिस्ट में रखें हुए हैं.
बौद्ध नामकरण संस्कार लड़के नाम Buddhist Baby Boys Names
अभय
अशोक
अत्तदीप
अनित्य
अविष्कार
अरुण
अभिनीत
अनुनीत
अनिरुद्ध
अनुबोध
अंशुल
अंचल
अनिल
अर्हत
अजय
अनुदेश
अतुल
अनुपम
अरविंद
अभिषेक
अक्षय
आदर्श
आदित्य
आधार
आलेख
आदर
आनंद
आयुष
उदय
उदित
उत्तम
उल्लेख
उतंग
उपोसथ
उपेन
उत्कर्ष
एकांश
एकल
कबीर
कमल
कपिल
केतन
कथन
कुलवंत
कुणाल
किशोर
कुलदीप
कल्याण
खेमराज
ख्याति
खुशवंत
गौतम
गौरव
गगन
चरित्र
चेतन
चयन
जातक
जतिन
जयंत
तिष्य
तिमिर
तरुण
तेजल
तन्मय
तनिष्क
दीपक
दिनांक
दीक्षित
धम्मराज
धम्मवीर
धवल
ध्रुव
धीरज
नागपाल
निवेश
निशंक
निशाध
निहाल
नमन
प्रहसून
पद्म
प्रदीप
प्रज्ञांशु
प्रशस्त
प्रशांत
पीयूष
प्रफुल्ल
पुल्कित
प्रवीर
भीम
भारत
भूषण
भावुक
मयूर
मयंक
मानव
युग
यश
राहुल
राजीव
रक्षित
रतन
लक्ष्य
ललित
विवेक
वैभव
विमल
विराट
विज्ञांशु
विपुल
विजय
विनय
शिखर
सुदत
सफल
सुनील
सागर
सुधांशु
सुधीर
सक्षम
सारथी
हेमंत
हर्ष
हेतु
हिमांशु
ज्ञानचंद
ज्ञानदेव
ज्ञानवीर
ज्ञानरतन
बौद्ध नामकरण संस्कार लड़की नाम Buddhist Baby Girls Names
अजया
अशोका
आभा
अमिता
अनिता
अलका
अदीक्षा
अंजली
अनुज्ञा
अंचला
अनुष्का
अवस्था
अमीषा
अनुषा
अनुशी
आशा
आभा
आकृति
आकांक्षा
आरुषी
इंदु
इच्छिता
इक्षिता
इष्टी
ईप्सिता
उपमा
उपाधि
उपासी
उलका
उन्नत
उपेक्षा
ऊषा
एकता
ऐश्वर्या
एकांशी
ऋतु
किरण
कपिला
कामिनी
कृपा
कविता
कृतिका
कणिका
खेमा
ख्याति
गुंजन
गरिमा
गति
गुंजिता
गुमिता
चित्रा
चेतना
चारु
छवि
जया
ज्योति
झलक
तिष्या
तेजसी
तेजस्वी
तुलना
दिव्या
दिशा
दीक्षा
दीपाक्षी
दीपिका
दीप्ती
निर्मला
नीलिमा
नंदिनी
निष्ठा
नम्रता
निलाक्षी
निवृति
नीतू
निखार
नन्या
नीरू
पालि
प्रभा
पद्मा
प्रीती
प्रणाली
प्रतिभा
परिधि
पल्लवी
प्रतिक्षा
प्रज्ञा
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बरखा
बुलबुल
बोधिलता
भूवि
भूमि
भूमिका
मधु
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माया
मेखला
मोनिशा
मनिषा
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रतना
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रितु
रुचि
रचना
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रुचिता
लता
ललिता
लतिका
लिखिता
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विमला
वाटिका
विदिता
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शीला
शैफाली
श्वेता
शशि
शोभा
शांता
शिखा
शीर्षा
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शिक्षा
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सुधा
सुरेखा
सुहासी
सुधिता
संचिता
संज्ञा
स्मिता
सोनाक्षी
सृजिता
हेमलता
हेमा
हिमाली
हर्षा
हिमाक्षी
हर्षिता
हिमांशी
क्षमा
श्रद्धा
श्रुति
बौद्ध बच्चों का नामकरण संस्कार पढ़कर आपको अपने बौद्ध बच्चों का नामकरण करने का तरीका पता चल गया होगा. हमें पूर्ण उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए बहुत ही उपयोगी रहा है.
आपसे एक गुजारिश है. इस लेख को अपने साथियों के साथ जरूर शेयर करें. ताकि उन्हे भी मालूम चलें कि बौद्ध बच्चों का नामकरण कैसे करते है?
— भवतु सब्बमंगलं! —
नमो बुद्धाय धम्म बंधुओं मैं राहुल गौतम बौद्ध संस्कार.कॉम का फाउंडर हूँ, मैं यहाँ बुद्धिज़्म से जुडी संपूर्ण जानकारीयों को आप सभी के लिए इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से शेयर करता हूँ, जैसे कि बौद्ध संस्कार, बुद्ध वंदना, भगवान बुद्ध, बाबा साहब, एवं बुद्धिज़्म से जुड़ी समस्त महत्वपूर्ण जानकारीयों को पूर्णतः निःशुल्क रूप से बुद्धिज़्म जनहित कल्याण के लिए रिसर्च करके आप सभी धम्म बंधुओं के लिए लिखता हूँ। जय भीम।