8 जनवरी,1880 बौद्ध जगत की दुनिया में ख़ास महत्व का दिन है, क्योंकि उसी दिन “पंचशील ध्वज” की स्थापना हुई थी, यह धम्म ध्वज पूरे विश्व को शांति, प्रगति मानवतावाद और जनमानस कल्याण की सदैव प्रेरणा देता है।
समाज का प्रश्न धम्म ध्वज कब, किसने,क्यों बनाया?
बौद्ध धम्म का (सार्वजनिकता) प्रचार व प्रसार के लिए पूरे संसार में बौद्ध धम्म का एक ही सिंबल होना चाहिए था, इसी विचार विमर्श के साथ श्रीलंका के मे बौद्ध ध्वज का डिज़ाइन किया गया, बौद्ध ध्वज के रचना की बात की जाए तो, उसमे नीला, पीला, लाल, सफ़ेद और केसरी इन रंगों का प्रयोग किया गया।
Who made the panchsheel flag?
बौद्ध ध्वज “बौद्ध धम्म का प्रतिनिधित्व” करता है:
विश्व में बौद्ध सर्वप्रथम ध्वज 1885 में श्रीलंका में फहराया गया था, यह विश्व भर में शांति और आस्था का प्रतीक है, बौद्ध ध्वज के जनक और पहले अमेरिकी बुद्धिस्ट, सेवानिवृत्त कर्नल हेनरी स्टील ओलकोट थे । बौद्ध ध्वज या पंचशील ध्वज के निर्माण मे इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। श्रीलंका मे इन्होने बौद्ध धर्म के पुनरुत्थान का काम किया है। साथ ही श्रीलंका में करीब 400 बौद्ध स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की।इसलिए हेनरी स्टील ओलकोट को श्रीलंका मे धार्मिक, (राष्ट्रीय पुनरुत्थान) नेशनल रिवाइवल के लिए आज भी नायक (अगुवा) के रूप मे जाना जाता है।
1880 मे हेनरी स्टील ओलकोट श्रीलंका गए थे। वहा उन्होने बौद्ध धर्म का स्वीकार किया। सन 1885 मे बौद्ध ध्वज के निर्मिति के लिए बनाई गयी समिति मे एक सलाहकार के रूप मे काम किया। उनके द्वारा डिज़ाइन किया गए बौद्ध ध्वज को वैश्विक तौर पर बुद्धिस्ट देशो मे मान्यता मिली और स्वीकार भी किया गया।
झंडे को मूल रूप से कोलंबो समिति, श्रीलंका ने 1885 में डिजाइन किया गया था। इस समिति में हिक्कादुवे सुमंगला थेरा (अध्यक्ष), मिगेट्टूवट्टे गुनानंद थेरा, डॉन कैरोलिस हेवेविथराना, एंड्रिस पेरेरा धर्मगुणवर्धना, एच विलियम फर्नांडो, पीटर डे एब्रेव, विलियम डे एब्रेव, चार्ल्स ए डी सिल्वा, कैरोलिस पूजिथा गुणवर्धना और एन.एस. फर्नांडो और (सचिव) आदि लोग थे।
▪ बौद्ध ध्वज को सर्वप्रथम 28 मई 1885 मे वैशाख पुर्णिमा के दिन सार्वजनिक रूप से लहराया गया था। 1952 मे जो बौद्ध वैश्विक परिषद मे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध ध्वज के रूप मे स्वीकृत किया।
धम्म पंचशील ध्वज: Dhamma Panchsheel flag
▪ नीला रंग — दयालु स्वभाव, यह रंग शांति, एवं प्रेम का प्रतिक है।
▪ पीला रंग — यह रंग तेज और उत्साह का प्रतिक है। यह रंग मध्यम मार्ग को प्रदर्शित करता है। बुद्ध के आत्मज्ञान से मिलने वाला प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है।
▪ लाल रंग — यह रंग ज्ञान, सदाचार, गरिमा और साहस का प्रतिक है।
▪ सफेद रंग — यह वास्तविक जीवन को प्रदर्शित करता है यानि शुद्धता और निर्मलता का प्रतिक है।
▪ केसरी रंग — त्याग और करुना का प्रतिक है, यह रंग बुद्ध के ज्ञान की शक्ति और धर्म के समृद्ध अर्थ और उसकी चमक को प्रदर्शित करता है।
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क्षैतिज (आड़ा) को अक्षांश (समांतर) पट्टिया माधुर्य, खुशी और शांति में दुनिया के लोगों का प्रतिनिधित्व (रेपर्जन्टेशन) करती हैं, और 5 वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) के सम्मिश्रण से बनी 6वीं पट्टी बौद्ध कम्यूनिटी को निरंतर शांति को दर्शाती हैं, इस पट्टी पर 5 रंगो का एक संयोजन बना है, वर्णक्रम बुद्ध की शिक्षाओं के सार्वभौमिक सत्य का प्रतिनिधित्व करता है।
नमो बुद्धाय धम्म बंधुओं मैं राहुल गौतम बौद्ध संस्कार.कॉम का फाउंडर हूँ, मैं यहाँ बुद्धिज़्म से जुडी संपूर्ण जानकारीयों को आप सभी के लिए इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से शेयर करता हूँ, जैसे कि बौद्ध संस्कार, बुद्ध वंदना, भगवान बुद्ध, बाबा साहब, एवं बुद्धिज़्म से जुड़ी समस्त महत्वपूर्ण जानकारीयों को पूर्णतः निःशुल्क रूप से बुद्धिज़्म जनहित कल्याण के लिए रिसर्च करके आप सभी धम्म बंधुओं के लिए लिखता हूँ। जय भीम।