गौतम बुद्ध को तथागत बुद्ध एवं भगवान-बुद्ध दोनों नाम से क्यों सम्भोधन किया जाता है, कुछ लोग भगवान शब्द बोले जाने पर कई प्रकार की बातें करते हैं, आप बुद्ध के साथ भगवान शब्द प्रयोग न करें, ये ग़लत है, बुद्ध कोई भगवान नहीं, आदि अलग-अलग तथ्य देते हुए, एक एतेराज़ी का विषय बना देते हैं इसलिए धम्म बंधुओं हम इस लेख में सभी प्रकार के सवालों अथवा भ्रम वाले प्रश्नों के उत्तर से अवगत करायेंगे उम्मीद करते हैं आपको ज़रूर समझ पाएंगे, why buddha called tathagat?
बुद्ध को भगवान-बुद्ध एवं तथागत-बुद्ध क्यों कहते है?
दरअसल एक दिन मैंने व्हाट्सएप whatsapp यूनिवर्सिटी पर कुछ सम्मानित सामाजिक विशेषज्ञों द्वारा इस टॉपिक पर घमासान चर्चा करते हुए देखा, कोई किसी की बातों को सुनने के मूड में नहीं थे, बस एक दुसरे से बातों में हार-जीत के कशमकश में भिड़े हुए थे, बस क्यों, कैसे, पर अटके हुए थे, किसी के पास कोई तर्कात्मक उत्तर नही था, खैर वहां तो मैंने कोई टिप्पणी नही की, लेकिन मैंने सोचा क्यों न इस विषय पर थोडा रिसर्च किया जाये औए लोगों तक सही सन्देश पहुचाया जाये कि आखिर भगवान बुद्ध को तथागत बुद्ध क्यों कहा जाता है, who was called tathagat.
भगवान शब्द का इस्तेमाल करना कोई मेरा फेवरेट टॉपिक नहीं है लेकिन इस पोस्ट के माध्यम से लोगों को क्लियर जरूर करना चाहता हूं कि गौतम बुद्ध को तथागत और भगवान कहना भी गलत नहीं है तो आइए जानते हैं। tathagata buddha meaning.
तथागत – VS – भगवान
तथागत का अर्थ: Tathagat meaning
- तथ्य + आगत + = तथागत
- तथ्य — सत्य (सचाई)
- आगत — अवगत (सचेत, आगाह करना )
फैक्ट के साथ सच्चाई से रूबरू करने वाले को बुद्ध-तथागत कहे जाते हैं, तथागत पालि-भाषा का लफ्ज़ है, जिसका मतलब यथाचारी अथवा तथाचारी है। tathagat gautam buddha.
जो सत्य है वो सत्य है जैसे चोरी नहीं करना, मदिरा पान नहीं करना, बुरी संगत नहीं करना ये सत्य है इससे मनुष्य का जीवन दुःख मय व्यतीत होगा पूरा जीवन व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता, इससे अगर कोई सचेत करे, सावधान करे, की आगे जीवन कष्ट मय बीतेगा यह बुरी लत है इसे त्याग दो, यह फैक्ट बातें हैं, किसी किताब में पढ़ कर कोई नहीं समझता बल्कि सामाजिक जीवन जी कर समझता हैं।
अर्थात, जिस तरह बोली (बोलना) ठीक उसी प्रकार उसे ही फोलो करना भी होता है, गौतम बुद्ध मनुष्यों की क्षमता के से हटकर कभी नहीं बोलते. बुद्ध जो-जो बोलते है, वो खुद के अनुभव से प्रामाणिक करते थे,और जो खुद से व्यावहारिक रूप से प्रैक्टिकल करते थे, वही वो बोलते थे. तभी भगवान-बुद्ध को “तथागत” के नाम संबोधित किया जाता हैं। tathagat bhagwan gautam buddha.
बौद्ध धर्म में ‘भगवान’ का आशय ईश्वर या परमेश्वर या परमात्मा से नहीं हैं, भगवान जैसा (शब्द) सबसे पहले बुद्धिस्ट किताबों में पाया जाता है, बाद में यह शब्द (हिन्दू-ग्रंथो) में अलग मतलब से यूज़ किया जाने लगा।
भगवान का अर्थ: Bhagwan meaning
- भग्ग + वान = भगवान
- भग्ग — भंजन (नष्ट) करना
- वान — तृष्णा (वासना)
जिस मानव के ज़िन्दगी में की सारी वासनाओं एवं तृष्णांओ, अहिंसा का भंजन या तृष्णा नष्ट की है, उस महान मनुष्य को ‘भगवान’ कहां जाता हैं।
भग्ग रागो, भग्न मोहो, भग्ग दोसो अनासवो, भग्गस्स पापका धम्मा भगवातेन-पाऊच्चित
जिस मनुष्य ने राग, द्वेष, तृष्णा, एवं मोह इनको नष्ट करके संपूर्ण जीवन अकुशल-कर्म और चित्त का नाश किया हैं, उस कुशल-कर्मी महापुरूष को ‘भगवान’ कहा जाता हैं।
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तभी बौद्ध धर्म अनुयाई बुद्ध का अनुसरण करने वाले भगवान बुध भी कहकर संबोधन करते हैं लेकिन यहां भी सत्य है की बुध से ज्यादा प्रतिष्ठित, प्रभावशाली एवं गौरवपूर्ण नाम का शब्द इस संसार में कोई दूसरा नहीं, इसलिए बुद्ध नाम के साथ/आगे “भगवान”, ‘महात्मा’ या अन्य कोई गौरवपूर्ण शब्द लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
बुद्ध:- बुद्ध शब्द यह किसी स्पेशल व्यक्ति का नाम अथवा कोई पद नहीं हैं, वह मन की ऐसी स्थिति या अवस्था का नाम हैं, जो मन के ऐसी भाव की, जो मानसिक विकास के सबसे ऊँचे स्थान पर हैं, बुद्ध का मतलब जिसे संबोधी (ज्ञान) सम्यक (सही) हासिल हुई हैं।
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ऐसा सम्यक-संबुद्ध की, जिन्हें संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ हैं, बुद्ध मतलब अनन्त आसमान के जैसे अनन्त ज्ञानी एवं महाकारूणावान, जो अपने आपका और सारे संसार की भलाई कर करता हैं। पाली भाषा में इसे सर्वज्ञ कहते हैं।
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